नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) ऋषिकेश के मुख्य आकर्षणों में से एक है। समुद्रतल से लगभग 1330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। नर-नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के निकट बना यह मंदिर घने जंगल से घिरा हुआ है।
यहाँ विष्णुकूट, ब्रह्माकूट और मणिकूट पहाड़ियों का शानदार दृश्य देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं। मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग पर भक्त शहद, गंगाजल, बेलपत्र, फूल, नारियल आदि अर्पित कर सुखी जीवन की कामना करते हैं। सावन के महीनों (जुलाई – अगस्त) में और शिवरात्रि के अवसर पर लाखों श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।
इस मंदिर का इतिहास एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। जिसके अनुसार "शिव जी ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष के प्रभाव से संसार को बचाने के लिए वह विष पीया था। विष पीने के कारण भगवान शिव का कंठ (गला) नीला पड़ गया था। जिसके बाद शिव जी का नाम नीलकंठ पड़ गया। मान्यता अनुसार यह घटना इसी स्थान पर हुई थी।
मंदिर परिसर में एक प्राकृतिक झरना भी है, सामान्यतः भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहाँ स्नान करते हैं।
मंदिर सप्ताह के सातों दिन सुबह 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक खुला रहता है
मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नही लिया जाता है
ऋषिकेश से नीलकंठ का रास्ता काफी संकरा और घुमावदार है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी रखें