लोकनाथ मंदिर के बारे में जानकारी - Loknath Temple in Hindi

लोकनाथ मंदिर के बारे में जानकारी - Loknath Temple in Hindi

जगन्नाथ मंदिर से करीब 2 ½  किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भगवान शिव का पवित्र धाम "लोकनाथ मंदिर" (Loknath Temple)। भगवान श्री राम द्वारा निर्मित यह मंदिर उड़ीसा राज्य के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग स्थापित है जोकि पूरे वर्ष प्राकृतिक रूप से उत्पन्न पानी में डूबा रहता है। केवल शिवरात्रि के दिन शिवलिंग में एकत्रित पानी को निकला जाता है और भक्तों को दर्शन करने का सुअवसर प्राप्त होता है।

बलुआ पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में चार हिस्से हैं- विमान, जगमोहन, नटमंडप और भोगमंडप। मंदिर की बाहरी दीवारों पर कई देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं जिनमें भगवान शिव माँ पार्वती, भगवान कार्तिकेय और चुतुर्भुज भगवान गणेश की आकृतियाँ हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में भगवान सूर्य नारायण, चन्द्र नारायण, श्री विष्णु, माँ लक्ष्मी और हनुमान जी के मंदिर व चित्र हैं।

मंदिर के निकट ही पार्वती कुंड है, पर्यटकों को मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहाँ हाथ-पैर धोने आवश्यक हैं। पर्यटक कुंड में रहने वाली मछलियों को खाना खिला सकते हैं।

लोकनाथ मंदिर का इतिहास - History of Loknath Temple in Hindi

पौराणिक कथा अनुसार जब भगवान श्री राम, माता सीता को खोजते हुए पुरी शहर पहुंचें तो वह भगवान शिव को देखने के संकल्प से इसी स्थान पर बैठ गये। उस समय पास ही स्थित सब्रपल्ली (Sabrapalli) गाँव के निवासियों (जिन्हें सबारस (Sabaras) कहा जाता था) ने श्री राम को शिवलिंग आकार की एक लौकी (Pumpkin) दी, अपनी इच्छापूर्ति के लिए श्री राम ने उस लौकी को वहाँ शिवलिंग के रूप में स्थापित किया और तभी से भगवान भोलेनाथ का प्रतीक यह शिवलिंग "लौकानाथ" के रूप में पूजा जाने लगा। लोकनाथ, शब्द लौकानाथ का ही परिवर्तित रूप है।

लोकनाथ मंदिर मे क्या देखे -

शिवरात्रि से 3 दिन पहले शिवलिंग में एकत्रित प्राकृतिक पानी को बाहर निकाला जाता है और भक्तों को ग्रहण करने के लिए दिया जाता है। इस जल को औषधीय और चमत्कारिक माना जाता है और कहा जाता है कि इससे लाइलाज बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं।

लोकनाथ मंदिर सलाह -

  • मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं

  • मंदिर के अन्दर जूते-मोज़े या चमड़े की वस्तुएं ले जाने की अनुमति नहीं है

  • बाहर से कोई भी खाने-पीने की चीज़ मंदिर में नहीं ले जा सकते

  • शिवरात्रि के दिन मंदिर में कई लोग भगवान के दर्शन करने के लिए एकत्रित होते हैं

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