भारत के चार धामों में एक जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple), उड़ीसा राज्य के समुद्र किनारे बसे पुरी शहर में है। यह भगवान श्रीकृष्ण के रूप जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का एक भव्य मंदिर है। मंदिर के शिखर पर अष्टधातु से निर्मित एक चक्र है, जिसे विष्णु भगवान के सुदर्शन चक्र का प्रतीक माना गया है। प्रत्येक दिन चक्र के पास स्थित खम्भे पर अलग-अलग तरह का ध्वज लहराया जाता है और हर एकादशी पर चक्र के समीप दीपक जलाया जाता है।
जगन्नाथ मंदिर का एक अन्य आकर्षण यहाँ की रसोई भी है। यह रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है। इस विशाल रसोई में भगवान को भोग लगाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए 500 रसोईए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं। हालाँकि पर्यटकों का इसके अन्दर जाना मना है।
यहाँ का प्रमुख उत्सव रथ यात्रा महोत्सव है जिसमें खूबसूरती से सजे हुए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ को भक्त खींचकर उनकी मौसी के मंदिर "गुंडिचा" ले जाते हैं। यह मंदिर उड़ीसा राज्य का सबसे ऊँचा मंदिर है जिसकी उंचाई लगभग 65 मीटर है। मंदिर के चार द्वार हैं- सिंहद्वार, अश्वद्वार, हाथीद्वार और व्याघ्रद्वार, इनमें से सिंहद्वार मुख्य द्वार है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर का निर्माण मालवा नरेश इंद्रद्युम्न के द्वारा सपने में भगवान विष्णु ने नीलामाधव (भगवान जगन्नाथ) रूप के दर्शन करने के पश्चात हुआ था। स्वप्न में भगवान ने इंद्रद्युम्न को आज्ञा दी कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये और वहाँ दारु ब्रह्मा पेड़ से मूर्ती का निर्माण करें।
लकड़ी से मूर्ती निर्माण के लिए स्वयं भगवान विष्णु और विश्वकर्मा मूर्तिकार के वेश में आये और प्रतिमा तैयार हो जाने तक राजा को कमरे के बाहर रहने की शर्त रखी। राजा मान गए और कमरे के बाहर ही इंतज़ार करने लगे। जब एक माह बीत गया और मूर्ती पूरी होने का संदेश नहीं आया तो राजा उत्सुकतावश स्वयं कमरे में चले गए। मूर्तिकार ने उन्हें अपूर्ण मूर्तियाँ दी जिनके हाथ नहीं बने थे और कहा की देव इच्छा के अनुसार अब इन मूर्तियों को ऐसे ही पूजा जाएगा। आज्ञानुसार राजा ने तीनों मूर्तियों को इसी अवस्था में मंदिर में स्थापित करवाया।
ऐसा देखा गया है कि मंदिर के शिखर पर लहराने वाले ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराते हैं।
जगन्नाथ मंदिर में केवल हिन्दु ही प्रवेश कर सकते हैं
जूते-मोज़े, कैमरा, चमड़े की वस्तुएं, रेडियो या कोई और इलैक्ट्रोनिक आइटम ले जाना माना है
धूम्रपान, मंदिर के परिसर को गंदा करना या भगवान की मूर्तियों को छूना सख्त माना है