जगन्नाथ मंदिर के समान ही पवित्र धार्मिक स्थल है गुंडीचा मंदिर (Gundich Temple)। पुरी शहर में जगन्नाथ मंदिर से करीब 1 ½ - 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का मंदिर माना जाता है। वार्षिक रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गुंडीचा मंदिर में ही ले जाया जाता है।
कलिंगन शैली में निर्मित यह मंदिर एक सुंदर उद्यान के मध्य है। चारों ओर से दीवारों से घिरा यह मंदिर रसोईघर के साथ चार हिस्सों में बंटा है- विमाना, जगमोहना, नटमंडप और भोगमंडप। यह मंदिर हल्के भूरे रंग के पत्थरों से निर्मित है। इस मंदिर में 4 फीट ऊंची और 19 फीट लम्बी क्लोराइड की वेदी पर रथ यात्रा में लाई गई मूर्तियों को रखा जाता है, जिसे रत्नावेदी भी कहा जाता है।
मंदिर के इतिहास को लेकर अलग अलग मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि गुंडीचा राजा इन्द्रद्युमन की पत्नी और भगवान जगन्नाथ की परमभक्त थी, इसलिए रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ स्वयं 9 दिनों तक उनके घर जाते थे, इसी वजह से आज भी एक प्रथा का पालन किया जा रहा है। एक अन्य कथा के अनुसार गुंडीचा को भगवान कृष्ण की मौसी कहा जाता है और हर वर्ष तीनों देवी-देवता अपनी मौसी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने जाते हैं।
माना जाता कि गुंडीचा मौसी अपने भांजों-भांजी का स्वागत एक ख़ास स्वादिष्ट मिष्ठान बनाकर करती थी जिसका भोग आज भी भगवान को लगाया जाता है।
मंदिर में जानें से पहले जूते-चप्पल उतारें,
दान अपनी श्रद्धानुसार करें,
रथ यात्रा के दौरान अधिक रौनक होती है हालाँकि उस समय मंदिर के अन्दर जाना माना होता है।