हुमायूँ का मकबरा (Humayun Tomb), निजामुद्दीन इलाके में स्थित दिल्ली (Delhi) की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत है। चारों ओर से सुंदर बाग से घिरे इस मकबरे के अंदर मुगल परिवार की 100 से अधिक कब्रें हैं। लाल पत्थर और संगमरमर की बनी इस इमारत में पत्थर की खूबसूरत जालियाँ और संगमरमर पर नक्काशी का सौन्दर्य अद्भुत है जिस कारण इसे यूनेस्को द्वारा सन् 1993 में विश्व धरोहर (World Heritage) का दर्जा दिया गया था।
लगभग 8 वर्षों में बनकर तैयार हुई यह इमारत भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी थी। लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग सर्वप्रथम यहीं हुआ था। हुमायूँ की कब्र के अलावा उनकी बेगम हमीदा बानो, शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह और कई मुगल उत्तराधिकारी सम्राट जैसे जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्र भी यहाँ मौजूद हैं।
यह मकबरा मुगल बादशाह हुमायूँ की याद में उनकी पत्नी हमीदा बानू बेगम ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था। हुमायूँ की मृत्यु के 9 वर्ष बाद सन् 1565 में इस मकबरे का निर्माण शुरू हुआ था, करीब 7 वर्ष बाद सन् 1572 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ।
हुमायूँ की कब्र के यहाँ बनने से पहले उन्हें दो बार अन्य जगहों पर दफनाया गया था।
प्रवेश करने का शुल्क लिया जाता है
पर्यटक सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी यहाँ आ सकते हैं
फोटोग्राफी का कोई शुल्क नहीं लिया जाता लेकिन विडियो बनाने के लिए शुल्क देना पड़ता है