खोरी अर्थात "गुफा", यहाँ शिव खोरी से तात्पर्य है भगवान शिव की गुफा। भगवान शिव की यह गुफा डमरू के आकार की बनी है, जो दो छोरों से चौड़ी व बीच से संकरी है। कुछ हिस्सों पर श्रद्धालुओं को झुककर प्रवेश करना होता है। शिव खोरी का प्रमुख आकर्षण स्वयं अवतरित शिवलिंग तो है ही, साथ ही यहाँ 33 करोड़ देवी देवताओं की पिंडी स्वरुप आकृतियाँ हैं जिन्हें ध्यानपूर्वक देखने पर पहचाना जा सकता है।
शिवलिंग पर चट्टानों से गिरता दूधिया द्रव्य पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है। गुफा में माँ पार्वती, भगवान कार्तिकेय, पञ्चमुखी भगवान गणेश, राम दरबार, कामधेनु, माँ काली, माँ सरस्वती और अन्य देवी देवताओं सहित पांडवों की भी पिंडियाँ मौजूद हैं।
गुफा की छत पर ओम, त्रिशूल और छह मुखी शेषनाग के चित्रों को देखा जा सकता है। भगवान शिव की अमरनाथ गुफा की तरह इस गुफा में भी सदैव दो कबूतर रहते हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भस्मासुर नामक एक दानव ने तप कर भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह जिस किसी पर भी अपना हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। वरदान प्राप्त कर भस्मासुर भगवान शिव को ही भस्म करने की इच्छा ले बैठा। भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव इस गुफा में छुप गए थे। भगवान शिव की मदद करने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी के अवतार में भस्मासुर के सामने प्रकट हुए और अपने जाल में फंसाकर, उसे उसके ही हाथों से भस्म करवा दिया।
सालों पहले एक चरवाहे को शिव खोरी के दर्शन हुए जब वह अपनी खोई हुई भेड़ को ढूंढते हुए यहां तक आ पहुंचा।
शिव खोरी एक रहस्यमय गुफा है जिसका अंतिम छोर आज तक कोई इंसान नहीं देख सका है। कहा जाता है कि शिव की यह गुफा दो पथों पर मुड़ती है, एक कश्मीर में श्री अमरनाथ गुफा तक और दूसरी स्वर्ग तक। ऑक्सीजन की कमी के कारण आज तक कोई मनुष्य इस गुफा के दूसरे छोर तक नहीं पहुंच सका। कुछ साधू साहस करके गए भी थे, लेकिन वे कभी लौटे नहीं।
सामान रखने के लिए कमरों की सुविधा है
पॉलिथीन का प्रयोग न करें
कूड़ा कूड़ेदान में ही डालें
गुफा के पंडित काफी उदार स्वभाव के हैं, गुफा से सम्बंधित कोई भी जानकारी आप इनसे हासिल कर सकते हैं
चढ़ाई में असुविधा हो तो पोनी-घोड़े द्वारा भी गुफा तक पहुँच सकते हैं
कैमरा ले जाने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य है
कम सामान लेकर यात्रा करें, जरूरत की अधिकतर वस्तुएं आपको मार्ग में ही मिल जाएंगी