जम्मू के सबसे खूबसूरत क्षितिज के बीच खड़ा अमर महल (Amar Mahal Palace), लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित एक सुंदर महल है। कभी डोगरा साम्राज्य के राजा अमर सिंह का आवास रहा यह महल आज एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है और हरि-तारा धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है।
बुर्ज, लंबी मीनारें, हॉल, पुस्तकालय और आस-पास के पहाड़ इस महल की सुंदरता में चार चंद लगाते हैं। अमर महल संग्रहालय में एम.एफ.हुसैन, पहाड़ी-कांगड़ा लघु तस्वीरों से लेकर नल-दमयंती और भगवान विष्णु के दस-अवतार की भी गैलरी है।
अमर महल के पुस्तकालय में तकरीबन पच्चीस हज़ार प्राचीन किताबें रखी हुई हैं। वह कक्ष जिसमें कभी महारानी तारा देवी रहा करती थीं आज भी उसी तरह से संरक्षित है। महारानी की सभी वस्तुएं और कपड़े इस कक्ष में संभाल कर रखे गये हैं, जहां पर्यटक उनके रहन सहन को करीब से जान सकते हैं।
एक फ्रेंच वास्तुकार का द्वारा इस महल का निर्माण डोगरा वंश के राजा अमर सिंह के लिए किया गया था। राजा अमर सिंह की बहू महारानी तारा देवी ने इस महल में काफी लंबे समय तक निवास किया था। सन् 1967 में तारा देवी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र डॉ. करन सिंह और बहू यशो राज्य लक्ष्मी ने इस महल में संग्रहालय खोलने का फैसला किया। डॉ. करन सिंह द्वारा इस महल को हरि-तारा चैरिटेबल ट्रस्ट को दान कर यहाँ एक संग्रहालय और पुस्तकालय खोला गया। अमर महल पैलेस संग्रहालय का उद्घाटन 13 अप्रैल सन् 1975 को हुआ।
अमर महल संग्रहालय का मुख्य आकर्षण यहां मौजूद 120 किलो सोने से बना सिंहासन (The Golden Throne) है। इस सिंहासन पर शेर की आकृति चित्रित है। यह स्वर्ण सिंहासन महाराजा हरि सिंह द्वारा बनवाया गया था।
अमर महल संग्रहालय पर्यटकों के लिए सबुह के 10 बजे से शाम के 7 बजे तक खुला रहता है
सोमवार को संग्रहालय बंद रहता है
बच्चों का प्रवेश शुल्क 5 रूपए, बड़ों का 10 रूपए और विदेशी पर्यटकों का 50 रूपए है