"गुलाबी नगरी" या "भारत देश का पेरिस" यक़ीनन राजस्थान की राजधानी जयपुर एक दिलचस्प ऐतिहासिक शहर है। जहाँ एक और इस शहर में किले, महल, बावलियां इतिहास की गरिमा को दर्शाते हैं वहीँ मॉल, फैशन से सजे बाज़ार आधुनिकता को समेटे हुए हैं। सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों, गली-कूचों की चहलपहल के बीच ही जयपुर शहर का राजसी अतीत, राजा-रजवाड़ों की शानोंशौकत की कहानियाँ बयाँ करता है।
जयपुर शहर की पहचान हवा महल हो या जंतर-मंतर, ये अद्भुत निर्माण आज भी पर्यटकों को अपनी कलात्मक और वैज्ञानिक रचना से आश्चर्यचकित करते हैं। शहर के दिल में बसे सिटी पैलेस का पर्यटन कर आप शाही रहनसहन से परिचित हो सकते हैं।
जयपुर शहर का आकर्षण यहीं पर खत्म नहीं होता है, इन सबके अलावा केंद्रीय संग्रहालय, महाराजा सवाई सिंह संग्रहालय, लक्ष्मी बिरला नारायण मंदिर, नाहरगढ़ किला, राजमंदिर सिनेमा हॉल, आमेर का किला, जल महल आदि बहुत कुछ मिला है इस शहर को विरासत में।
रत्न-गहनों और साड़ियों-लहंगों से सजा जौहरी बाज़ार हो या असली जयपुरी सामान के लिए मशहूर बापू बाज़ार, किताबों से भरा चौड़ा रास्ता बाज़ार और दिल्ली के कनॉट प्लेस की याद दिलाता एम.आई रोड, जयपुर में बहुत कुछ है आपकी खरीदारी की इच्छा को पूरा करने के लिए।
जयपुर के किलों का इतिहास समझने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त गाइड की सहायता ले सकते हैं।
रात के समय जयपुर में काफी ठंड हो जाती है और यदि आप सर्दियों में घूमने जा रहे हैं तो रात के लिए अधिक मोटे कपड़े जरुर रखें।
कुछ जगहों पर तस्वीरें खींचना मना है।
जयपुर शहर की स्थापना महाराजा सवाई जयसिंह (1700-1743) द्वारा की गई और उन्हीं के नाम पर इस शहर का नामकरण हुआ था। इससे पहले वह आमेर के राजा थे, अपने साम्राज्य में बढ़ती आबादी और पानी की कमी के कारण ने उन्हें आमेर छोड़ जयपुर में बसने को मजबूर किया। राजा सवाईसिंह एक कुशल योद्धा और खगोलशास्त्री थे जिसका सबूत उनके बनवाई गई ऐतिहासिक और वैज्ञानिक पद्धति से निर्मित स्मारकें देती हैं।
राज्य- राजस्थान
स्थानीय भाषाएँ- हिंदी, राजस्थानी
स्थानीय परिवहन - बस, ऑटो-रिक्शा
पहनावा- जयपुर में महिलाएं रंग-बिरंगे घाघरा-चोली और अपने सिर से ओढ़नी लेती हैं और गहनों में बड़ी नथनी, गले में बड़े-बड़े हार और हाथों में सफ़ेद या चांदी की चूड़ियाँ पहनती हैं। पुरुष रंगीन धोती-कुर्ता और सिर पर पगड़ी और कानों में कुंडल पहनते हैं।
खान-पान- राजस्थान के राजा-रजवाड़ों का शाही अंदाज़ आपको यहाँ के पकवानों में भी देखने को मिलेगा, खूब सारा घी और मक्खन यहाँ के व्यंजनों का स्वाद दो गुना कर देता है जैसे दाल-भाटी-चूरमा, बेसन के गट्टे, मावा कचौड़ी, खेर सांगरी, प्याज की कचौड़ी, चक्के की सब्जी और रबड़ी। जयपुर में इन सब पकवानों का स्वाद आपको उंगलियाँ चाटने पर मजबूर कर देगा।
गुलाबी नगरी जयपुर के त्यौहार और मेले भी इसी नगरी की तरह रंगीन हैं। तीज में मेहंदी की खुशबू और झूलों की रौनक होती है तो गणगौर में पति की लम्बी उम्र की कामना करती सजी-संवरी स्त्रियाँ। साथ ही एलीफैंट फेस्टिवल और काइट फेस्टिवल के हर्षौल्लास से पूरा शहर जीवंत हो उठता है।
तीज उत्सव- जुलाई-अगस्त के महीने में मनाया जाने वाला ये त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है जब शादीशुदा महिलाएं अपने पतियों की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना करती हैं। माँ पार्वती की पूजा-अर्चना, लोक नृत्य, पारंपरिक तीज गीत और झूले, इस त्यौहार की मुख्य विशेषताएं हैं।
गणगौर उत्सव- मार्च-अप्रैल के महीने में आने वाले इस 18 दिन के त्यौहार में अविवाहित कन्याएं अच्छे पति की कामना के लिए एवं विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए मिट्टी के गणगौर की पूजा करती हैं। गणगौर में "गण का अर्थ भगवान शिव है और गौर शब्द माता पार्वती" के लिए प्रयुक्त हुआ है।
हवाई मार्ग - By Flight
जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर है यहाँ से टैक्सी या बस द्वारा पर्यटक शहर तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग - By Flight
जयपुर रेलमार्ग द्वारा देशा के कई बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, आगरा, कोलकाता, लुधियाना, कोटा, हैदराबाद, बंगलुरु, मैसूर, चेन्नई, पटना, पूरी, भुवनेश्वर आदि से जुड़ा है। जयपुर में तीन मुख्य रेलवे स्टेशन हैं- जयपुर, गांधीनगर और दुर्गापुर रेलवे स्टेशन। इसके अलावा पर्यटक दिल्ली से एक आलीशान रेल "पैलेस ऑन व्हील" से भी राजस्थान के कई मुख्य शहरों जैसे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अलवर आदि की यात्रा शाही अंदाज़ में कर सकते हैं।
सड़क मार्ग - By Road
राष्ट्रीय राजमार्ग 8, 11 और 12 द्वारा देश के अलग-अलग शहरों से जुड़ा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा रोजाना दिल्ली से जयपुर के लिए दोनों तरफ से हर आधे-आधे घंटे में बस सुविधा है, जयपुर में नारायण सिंह सर्किल या सिंधी बस कैंप से बस ले सकते हैं और दिल्ली में बीकानेर हाउस से बसे चलती हैं। पर्यटक एसी व नॉनएसी वॉल्वो द्वारा भी जयपुर शहर पहुँच सकते हैं।
अक्टूबर से मार्च यानि सर्दियों का मौसम जयपुर की यात्रा का सबसे उपयुक्त समय है। गर्मियों (मार्च-जून) और बरसात के मौसम (जुलाई से सितम्बर) में पर्यटक जयपुर के असली रंगों से रूबरू नहीं हो पाएँगे।