गुलाबी शहर में मौजूद "सिटी पैलेस" वह स्थान है, जहां कभी जयपुर शहर के संस्थापक, महाराजा सवाई जय सिंह का निवास हुआ करता था। महाराजा अपनी रियासत के तौर पर जयपुर में कई अहम इमारतें और किले छोड़ गए। 18वीं सदी में बने इस महल की वास्तुकला मुगल और राजपूताना शैली के मिश्रण का एक बेहतर नमूना है।
सिटी पैलेस में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को सात दरवाज़ों से होकर गुज़रना पड़ता है जो आज भी अपनी पूरी शान में खड़े हैं। इस महल के परिसर में प्रवेश करते ही मुबारक महल स्थित है जो यहां कभी अतिथियों के स्वागत करने के लिए इस्तेमाल में आता था।
चंद्र महल, दीवान-ए-खास, गोविंद देव जी मंदिर आदि इस महल की अन्य मुख्य इमारते हैं। इस पैलेस के बाकी हिस्से को महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया जहाँ महाराजा के शाही कपड़े, हथियार, पशमीना शॉल, बनारसी साड़ियां, सांगानेरी प्रिंट और शाही कढ़ाई के नमूने रखे हुए हैं।
महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा सिटी पैलेस की बाहरी दीवारों का निर्माण 1729 से 1732 ईस्वी के बीच कराया गया। महाराजा सवाई जय सिंह ने अपनी रियासत आमेर से जयपुर पानी की किल्लत के कारण बदल ली थी। इस महल की रूपरेखा रचने वाले मुख्य वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य थे जिन्होंने वास्तुशास्त्र के अनुसार इस महल की नींव रखी। बाद में महाराजा के उत्तराधिकारी महाराजा सवाई माधो सिंह ने इस महल के परिसर में अन्य इमारतें बनवाईं।
प्रीतम निवास चौक के पीछे, चन्द्र महल स्थित है जहाँ आज भी शाही परिवार के वंशज रहते हैं। पर्यटक यहाँ 45 मिनट के दौरे के ज़रिये राजसी शानोशौकत का अनुभव ले सकते हैं।
इस महल में प्रवेश करने का समय सुबह के 9 बजे से शाम के 5 बजे तक है।
भारतीय पर्यटकों के लिए 75 रूपये व विदेशी पर्यटकों के लिए 300 रूपये का प्रवेश शुल्क है।
यहां जाने का उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च तक का है।