हर की पौड़ी के बारे में जानकारी - Har Ki Pauri in Hindi

हर की पौड़ी के बारे में जानकारी - Har Ki Pauri in Hindi

धार्मिक नगरी हरिद्वार (Haridwar) अर्थात "हरी का द्वार" का प्रमुख तीर्थ स्थल है "हर की पौड़ी" (Har ki Pauri)। गंगा नदी के निकट स्थित इस पवित्र स्थल को "ब्रह्मकुंड" (Brahma Kund) के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवता दानवों से अमृत बचाने के लिए भाग रहे थे तब अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थीं जिनमें से एक स्थान ब्रह्मकुंड है। इसके अलावा एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु धरती पर सबसे पहली इसी स्थान पर आए थे और उन्होंने यहाँ अपने पैरों के निशान छोड़े थे, इसीलिए इस जगह का नाम हर की पौड़ी पड़ा जिसका अर्थ होता है "हरि यानि नारायण के चरण"।

कुंभ के मेले के दौरान हज़ारों लाखों श्रद्धालु इस घाट पर स्नान करने आते हैं। इस घाट की गंगा आरती देशभर में प्रसिद्ध है, गंगा नदी में बहते जलते दीपों की रोशनी आकाश में अनगिनत टिमटिमाते तारों के समान प्रतीत होती है।

हर की पौड़ी का इतिहास - History of Har Ki Pauri in Hindi

इस पवित्र घाट का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की याद में करवाया था। कहते हैं कि भर्तृहरि हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे ध्यान में लीन होने आए थे और यहीं उन्होंने अपनी अंतिम साँसें ली थीं। उनकी मृत्यु के बाद राजा विक्रमादित्य ने यहां घाट बनवाया था जिसे आज "हर की पौड़ी" के नाम से जाना जाता है।

हर की पौड़ी मे क्या देखे -

यही वह स्थान है जहाँ माँ गंगा पहाड़ों से निकलकर समतल मैदान में प्रवेश करती हैं।

हर की पौड़ी सलाह -

  • पॉलिथीन का उपयोग न करें

  • नकली गाइड्स और ढोंगी बाबाओं से सावधान रहें

  • किसी पर भी अपने सामान को लेकर भरोसा ना करें

  • बारिशों में जाने से बचें

  • स्नान के लिए निर्धारित क्षेत्र से आगे या अधिक गहराई में न जाएँ

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