बिहार राज्य के गया शहर में स्थित महाबोधि मंदिर को "मुख्य मंदिर" कहकर भी पुकारा जाता है। मंदिर में योग मुद्रा वाली महात्मा बुद्ध की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि "जिस स्थान पर बुद्ध की मूर्ति स्थापित है उसी स्थान पर उन्हें ज्ञान निर्वाण (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी।" मंदिर परिसर में हरे भरे पेड़- पौधों से समृद्ध एक पार्क है जहाँ अक्सर बौद्ध भिक्षु साधना करते दिखाई देते हैं। मंदिर के पीछे बुद्ध की एक मूर्ति है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। इसके आस- पास लगे रंगीन पताके इसे एक अद्भुत आकर्षण प्रदान करते हैं। मंदिर परिसर में एक पीपल का पेड़ है जिसे “बोधि वृक्ष” कहा जाता है, यह वही वृक्ष है जहाँ गौतम बुद्ध ने तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी।
इस मंदिर का निर्माण बुद्ध द्वारा "जीवन के सत्य" का ज्ञान प्राप्त करने के करीब 200 वर्ष बाद किया गया था। पहली बार इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ई. पू. में सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था, परंतु वर्तमान में जो मंदिर स्थित है वह पांचवीं या छठवीं शताब्दी में बनाया गया है।
माना जाता है कि महाबोधि मंदिर के पीछे जो बुद्ध की मूर्ति है उसी स्थान पर तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में सम्राट अशोक ने हीरों से जड़ा एक राजसिंहासन लगवाया था।
मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
यहाँ बिताए गए खूबसूरत पलों को यादगार बनाने के लिए पर्यटक अपने साथ कैमरा रख सकते हैं।