जलियांवाला बाग के बारे में जानकारी - Jallianwala Bagh in Hindi

जलियांवाला बाग के बारे में जानकारी - Jallianwala Bagh in Hindi

अमृतसर, एक ओर यहाँ का रहन-सहन, खान-पान और दर्शनीय स्थल, पर्यटकों के बीच विख्यात हैं वहीं दूसरी ओर शहर में एक ऐसा हिस्सा भी है जहाँ इतिहास की ऐसी भयानक घटना के चिन्ह अंकित हैं जिसे स्मरण कर लोग आज भी सिहर उठते हैं। अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) का अतीत किसी बुरे सपने से कम नहीं है। वर्ष 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड को देश की सबसे क्रूर घटना माना जाता है। वैसे तो यह बाग़ अमृतसर के पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल है लेकिन यहाँ आने वाला हर एक पर्यटक आज भी इस घटना को याद कर भावुक हो जाता है।

उस वक्त के ब्रिटिश अधिकारी, जनरल रेजीनॉल्ड डायर की गोलियों का शिकार हुए हजारों बेक़सूर भारतीयों की याद में यहाँ एक स्मारक बनवाई गई जिसकी आकृति एक निरंतर जलती रहने वाली लौ (Eternal Flame) का प्रतीक है। यहाँ की ऊंची-ऊंची दीवारें जिन पर लगे गोलियों के निशान, शहीदी कुआँ जिसमें लोगों ने जान बचाने के लिए छलांग लगाई थी, एक संग्रहालय जहाँ इस दिल दहला देने वाली घटना की तस्वीरें लगाई गई हैं, ये सभी साक्षी हैं उस दिन के, जिसका दर्द वक्त का मरहम भी नहीं भर सका है।

जलियांवाला बाग का इतिहास - History Jallianwala Bagh in Hindi

13 अप्रैल 1919  में रविवार के दिन बैसाखी का उत्सव मनाने और शांतिपूर्ण तरीके से सभा के उद्देश्य से हज़ारों की संख्या में लोग जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे जिसे भंग करने ब्रिटिश अधिकारी जनरल रेजीनॉल्ड डायर (General Reginald Dyer) अपनी एक सेना टुकड़ी के साथ बाग़ पहुँच गया। चारों ओर से ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरे इस बाग़ का केवल एक ही प्रवेश द्वार था जहाँ जनरल डायर अपने कुछ सैनिकों के साथ खड़ा था और बाकी के सभी सैनिकों ने बाग़ को हर तरफ से घेर लिया। इसके बाद बिना किसी चेतावनी के जनरल ने सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दे दिया।

बुजुर्ग, बच्चे, औरतें, पुरुष हर कोई अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहा था लेकिन किसी को भी रास्ता नज़र नहीं आया, निरंतर गोलियों की बौछार में सैकड़ों लोगों की जान कुछ ही लम्हों में सिमट गई और हज़ारों निर्दोष घायल हुए। कहा जाता है कि जिस कुँए में लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए छलांग लगाई थी, घटना के बाद उसमें से करीब 120 लाशों को बाहर निकाला गया था।

जलियांवाला बाग मे क्या देखे -

इतिहास के अनुसार इस जघन्य घटना के प्रत्यक्षदर्शी व क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह ने जलियांवाला बाग की मिट्टी को हाथ में लेकर कसम खाई थी कि वे अपने हज़ारों निर्दोष भाई-बहनों की मृत्यु का बदला जरूर लेंगें, हालाँकि इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले जनरल रेजीनॉल्ड डायर की स्वाभाविक मौत हुई थी लेकिन उनके इस कृत्य को सही बताने वाले पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर को लंदन में मारकर उधम सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की थी।

जलियांवाला बाग सलाह -

  • जलियांवाला बाग में घूमने का समय सुबह 6:30 से शाम 7.30 बजे तक का है

  • प्रवेश या संग्रहालय में कोई शुल्क नही लिया जाता है

  • रोज़ शाम को होने वाले लाइट एंड साउंड शो में शामिल हो सकते हैं

  • यह पर्यटकों के लिए सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है

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