उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम चारों तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ यमुना देवी का मंदिर है जो समुद्रतल से लगभग 3235 किलोमीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। मंदिर के अंदर स्थित यमुना देवी की मूर्ति संगमरमर के काले पत्थरों से बनी हुई है। मंदिर के पास ही कालिंद पर्वत में यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यहाँ एक शिला भी है जिसे दिव्य शिला कहा जाता है, मंदिर में देवी की पूजा से पहले इसकी आराधना की जाती है। हर साल अक्षय तृतीया के मौके पर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और दीपावली के दिन बंद कर दिए जाते हैं। यमुनोत्री का शांत एवं शुद्ध वातावरण श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यमुना मृत्यु के देवता यम की बहन हैं और यहाँ स्नान कर दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
यमुनोत्री धाम के इतिहास के बारे में तो कोई खास जानकारी नही उपलब्ध है लेकिन पौराणिक गाथा के अनुसार यहां असित मुनी की निवास स्थान हुआ करता था। यहां स्थित यमुना देवी का मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा "प्रताप शाह द्वारा" करवाया था।
मंदिर के निकट गर्म पानी के कई झरने हैं जो की विभिन्न कुंडो में गिरते हैं। सभी कुंडो मे से सूर्यकुंड सबसे प्रसिद्ध है जिसमें देवी को चढ़ाने के लिए पर्यटक आलू और चावल पकाते हैं।
यात्रा के दौरान खाना और पानी अपने साथ साथ रखें
यात्रा के दौरान ऊनी कपड़े अपने साथ रखें
यमुनोत्री मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है
यात्रा करते समय अपने साथ फर्स्टएड किट जरूर रखें