माउंट आबू (Mount Abu) अरावली पर्वत के सबसे ऊंचे शिखर पर बसा राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। अपनी शीतलता के लिए प्रसिद्ध यह स्थान जैन धर्म के लोगों का प्रमुख तीर्थस्थान भी है। माउंट आबू अपने अंदर प्रकृति की अपार सुंदरता को समेटे हुए है जिसमें ऐतिहासिक स्मारक, सुंदर झीलें, खूबसूरत वादियां, वन्य जीव अभयारण्य आदि शामिल हैं। माउंट आबू के इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि एक समय में यह स्थान पूर्व राजघरानों के लोगों के लिए ‘समर-रिसोर्ट’ था। हिल स्टेशन के साथ- साथ यह सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्म के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। त्यौहारों और उत्सव के समय माउंट आबू की सांस्कृतिक झलक आंखों में समा जाती है। वार्षिक कार्यक्रमों के दौरान पूरा राजस्थान मानो एकत्र होकर लोकनृत्य, संगीत, झांकी और रंगबिरंगी दुनिया में खो सा जाता है।
पिकाडिली प्लाजा (Piccadilly Plaza) से पर्यटक स्थानीय हस्तशिल्प का सामान और कपड़े खरीद सकते हैं। कश्मीर कॉटेज एम्पोरियम (Kashmir Cottage Emporium) से पर्यटक कश्मीरी कपड़े और हस्तशिल्प खरीद सकते हैं। निक्की लेक बाजार माउंट आबू का सबसे प्रसिद्ध बाजार है, पर्यटक यहाँ से राजस्थानी पेंटिंग, हैंडबैग और चमड़े से बनी वस्तुएं खरीद सकते हैं।
माउंट आबू और इसके आस पास के दर्शनीय स्थल देखने के लिए पर्यटक यहां की पर्यटन बस सेवा का प्रयोग कर सकते हैं
अगर आप सर्दियों में माउंट आबू घूमने का प्लान बना रहे हैं तो गर्म कपड़े ले जाना बिलकुल न भूलें
माउंट आबू आरंभ से ही साधू संतों के लिए निवास स्थान रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर कई देवी- देवता भ्रमण करते हैं। लोक मान्यता के अनुसार, गुरु वशिष्ठ ने इसी स्थान पर असुरी शक्तियों को खत्म करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था। भगवान महावीर भी इस स्थान पर आए थे, और तभी से यह स्थान जैन धर्म के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल बना हुआ है।
राज्य- राजस्थान
स्थानीय भाषाएँ:- राजस्थानी, हिंदी और अंग्रेज़ी
स्थानीय परिवहन:- बस, टैक्सी, कैब और लोकल ट्रेन
पहनावा:- माउंट आबू में महिलाएं साड़ी या घाघरा- चोली पहनती हैं। साड़ी अधिकतर सूती या सिल्क की होती है जिनमें रंगीन शीशे जड़े हुए बॉर्डर होते हैं। घाघरा- चोली के साथ महिला दो से तीन मीटर लंबी रंगीन चुनरी ओढ़ती हैं। बाँदा, बुगतरी, पचवारा और खोल यहां के ग्रामीण पुरुषों की पारंपरिक पोशाक है। इसके अलावा यहां के पुरुष धोती और अंगराखा (एक प्रकार का जैकेट) पहनते हैं।
खान-पान:- माउंट आबू में आप दाल बाटी चूरमा, मूंगदाल का हलवा, घेवर, रबड़ी और राजस्थानी थाली का स्वाद चख सकते हैं। यहां का पान आपको जरूर चखना चाहिए जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है। इसके अलावा आप यहां के रेस्तरां में पंजाबी, साउथ इंडियन, गुजराती और चाइनीज खाना भी खा सकते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा - Budh Purnima
बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार, माउंट आबू में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में यहां के लोगों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस दौरान होने वाले बोट रेस, हॉर्स रेस, पनहरी मटका रेस तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते ही बनते हैं।
माउंट आबू शीतकालीन महोत्सव - mount abu winter festival
माउंट आबू में हर वर्ष पर्यटकों के लिए शीतकालीन महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह 29 से 31 दिसंबर तक मनाया जाता है। इस महोत्सव में नृत्य, संगीत, मेलों और आतिशबाजी का प्रदर्शन होता है। इस महोत्सव में आस- पास के राज्य के लोग भी भाग लेते हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राजस्थान पर्यटन और माउंट आबू के नगर निगम बोर्ड द्वारा यह महोत्सव आयोजित किया जाता हैं।
हवाई मार्ग - By Flight
माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप उदयपुर हवाई अड्डा है। यहां से आगे जाने के लिए बस सेवा काफी अच्छी है।
रेल मार्ग - By Rail
यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड रेलवे स्टेशन है। जो मुख्य शहर से 27 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से आगे जाने के लिए पर्यटक बस या टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग - By Road
जयपुर और आबू रोड के अलावा राजस्थान के कई बड़े शहरों से नियमित रूप से माउंट आबू के लिए बसें चलाई जाती हैं।
माउंट आबू घूमने जाने के लिए सबसे बेहतर समय नवम्बर से फरवरी तक का है।