मनाली के बारे में जानकारी - Manali in Hindi

मनाली के बारे में जानकारी - Manali in Hindi

मठ, मंदिर, ऊँचे पर्वत, बर्फ से ढकी सुंदर वादियाँ, हरी-भरी घाटियाँ, स्वच्छ निर्मल वातावरण और साहसिक खेल, प्रकृति के इस सुंदर मिलन को मनाली (Manali) कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में स्थित लोकप्रिय हिल स्टेशन मनाली (Hill Station Manali) अपने अन्दर कई अद्भुत और आकर्षक नज़ारे छिपाए हुए है। यहाँ की दिलकश वादियों में खोने और मनाली को करीब से जानने के लिए आपको यहाँ की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मी की छुट्टियों में यहाँ का ठंडा वातावरण राहत देता है वहीँ सर्दियों में बर्फ की सफ़ेद चादर ओढ़े मनाली पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आप यहाँ के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा मनाली में हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते है। जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती यहाँ की सुंगंधित हवाएं, दिलो दिमाग को ताजगी से भर देती हैं।

सोलंग वैली, हिडिम्बा देवी मंदिर, बिजली महादेव, मणिकरण गुरुद्वारा और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क जैसे कई स्थल मनाली के पर्यटन में चारचाँद लगाते हैं। मनाली के धार्मिक, ऐतिहासिक और रोमांच से भरपूर स्थल आपकी यहाँ की यात्रा को सम्पूर्ण करेंगें।

मनाली के बारे मे -

मनाली से हस्तशिल्प का सामान, कालीन (Carpet) और ऊनी शॉल काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी (Embroidery) से सजाया जाता है। मनाली के द माल में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार आदि को निशानी के तौर पर ख़रीदा जा सकता है।

मनाली की यात्रा सुविधाएं -

  • मनाली का मौसम अधिकतर ठंडा रहता है, अपने साथ ऊनी कपड़े जरूर रखें

  • अगर आप साहसिक कार्यों में दिलचस्पी रखते हैं तो उनके अनुसार ही कपड़े और जरूरी सामान पैक करें

  • यहाँ की रोमांचक यात्रा के लिए जीप सफारी सबसे अच्छा विकल्प है

मनाली का इतिहास -

पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु (Manu) का घर कहा गया है। माना जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तब एकमात्र मनु की जीवित बचे थे जिन्होनें आकर पुनः मनुष्य की रचना की। इसलिए मनाली को एक सुंदर हिल स्टेशन होने के साथ-साथ हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।

मनाली की सामान्य जानकारी -

  • राज्य - हिमाचल प्रदेश

  • स्थानीय भाषाएँ - पहाड़ी, हिंदी, इंग्लिश

  • स्थानीय परिवहन - टैक्सी, बस

  • पहनावा - मनाली में अधिकांश समय सर्दी रहती है इसलिए यहाँ अधिकतर ऊनी वस्त्रों का प्रयोग किया जाता हैं। यहाँ पुरुष एक ऊनी पोशाक चोला पहनते हैं और महिलाएं पट्टू नामक पारंपरिक पोशाक पहनती हैं जो एक शॉल जैसा लेकिन उससे अधिक गर्म और भारी होता है। इसके अलावा पुरुष सिर पर टोपा और महिलाऐं धतु या थिपू पहनती हैं जो ऊन से बने होते हैं।

  • खान-पान - बड़ा, भटूरा और पटरोडू यहाँ के पारंपरिक व्यंजन हैं जो किसी त्यौहार या ख़ास मौके पर बनाये जाते हैं। इसके अलावा दही का यहाँ भरपूर मात्रा में प्रयोग होता है जिससे रायता, लस्सी और अन्य पेय बनाये जाते हैं। यहाँ के रेस्टोरेंट्स में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का व्यंजन परोसा जाता है।

मनाली के प्रमुख त्यौहार -

  • दशहरा - Dussehra

मनाली में दशहरे का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक, इस उत्सव में यहाँ के निवासी रावण के पुतले को जलाकर श्री राम के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। दशहरा प्रत्येक वर्ष अक्टूबर या नवम्बर में मनाया जाता है।

  • हिडिम्बा देवी उत्सव - Hadimba Devi Festival

हिडिम्बा देवी मंदिर में प्रत्येक वर्ष मई माह में इस उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होने आते हैं।

मनाली कैसे पहुंचें -

  • हवाई मार्ग - By Flight

मनाली से 50 किमी. की दूरी पर कुल्लू में स्थित भुंतर (Bhuntar Airport) यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा है। मनाली पहुँचने के लिए यहाँ से बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।

  • रेलमार्ग - By Train

जोगिन्दर नगर (Jogindar Nagar Railway Station) नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किमी. की दूरी पर है। मनाली से 310 किमी. दूर चंडीगढ़ नजदीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है।

  • सडक़ मार्ग - By Road

मनाली, हिमाचल और आसपास के शहरों से सडक़ मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।

मनाली घूमने का समय -

अक्टूबर से मई के महीने मनाली की सुंदरता में खोने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। जुलाई से सितम्बर तक बरसात के मौसम में लैंडस्लाइड (Landslide) का खतरा रहता है इस समय यहाँ की यात्रा न करें और अगर मनाली को बर्फ की सफ़ेद चादर ओढ़े देखना चाहते हैं तो दिसंबर और जनवरी महीने में यहाँ आएं।

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