मनाली (Manali) के प्रमुख आकर्षणों में से एक हिडिम्बा देवी मंदिर (Hidimba Devi Temple) प्राचीन गुफा-मंदिर है जो यहाँ की स्थानीय देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा को महाभारत में वर्णित पांच पांडवों में से एक भीम की पत्नी माना जाता है। समुद्र तल से करीब 1533 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर ढूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पास ही हिडिम्बा और भीम के पुत्र महाबली घटोत्कच का भी एक छोटा मंदिर है। ज्येष्ठ संक्रांति के दिन मंदिर में विशाल मेला लगता है।
पगोड़ा शैली में निर्मित लकड़ी के इस मंदिर का निर्माण महाराज बहादुर सिंह ने 1553 ई. में करवाया था जिनका नाम मंदिर के प्रवेश द्वार पर भी अंकित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसकी चार छत हैं। नीचे से ऊपर की ओर हर छत क्रमश: छोटी होती हुई अन्तत: शीर्ष पर कलश में बदल जाती है। नीचे की तीन छतें तो देवदार के मोटे-चौड़े तख्तों की है जबकि चौथी छत तांबे की चादरों से तैयार की गई है। मंदिर की दीवारें भारी पत्थरों की हैं। मंदिर के भीतर ही माता की पालकी है जिसे समय-समय पर रंगीन वस्त्र एवं आभूषणों से सुसज्जित करके बाहर निकाला जाता है।
हिडिम्बा माता का सम्बन्ध महाभारत काल से है जब लाक्षागृह (Wax House) से सकुशल बच निकलने के बाद पांडव अज्ञातवास पर थे। मनाली के इसी स्थान पर भीम ने हिडिम्ब राक्षस को मारा था और उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह रचाया गया था।
मंदिर का अलंकृत, नक्काशीदार प्रवेश द्वार लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है।
मंदिर में देवी हिडिम्बा के पदचिन्हों की पूजा की जाती है
मंदिर सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है