लोहगड किला भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित कई पहाड़ी किलों में से एक है। समुद्र तल से 3400 फुट की ऊंचाई पर बनी यह इमारत राजा महाराजाओं की कई कहानियां बयां करती है। पावना बेसिन और इंद्रायणी बेसिन को एक दूसरे से अलग करने वाला यह किला ब्रिटिश शासन से पूर्व मुगल और मराठा राजवंशों के लिए निवास स्थान था। यदि आप इतिहास, पुरातत्व, वास्तुकला के साथ- साथ ट्रैकिंग में भी रुचि रखते हैं तो यहां आकर उनके मन को संतुष्टी मिल जाएगी। मानसून का मौसम अपने साथ हरियाली लेकर आता है जो इस किले की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। इस किले में बड़ी- बड़ी हौदियां और सीढ़ीनुमा कुएँ बड़े ही आकर्षक तरीके से बनाए गए हैं।
कई राजवंशों के साथ लोहगड किले का एक लंबा इतिहास रहा है जो 1648 तक सातवाहन, राष्ट्रकूट, यादवों, निजाम, मुगलों और मराठों से जुड़ा रहा। लेकिन 1665 में पुरंदर की संधि के तहत शिवाजी को यह किला मुगलों को सौंपना पड़ा था। इसके बाद 1670 में उन्होंने मुगलों से यह किला दुबारा हथिया लिया।
18वीं सदी में बना यह किला आज भी बहुत मजबूत है। इस किले में चार प्रवेश द्वार हैं, इनमें से तीन दरवाजों का नाम भगवान पर रखा गया है जिसे- गणेश दरवाजा, नारायण दरवाजा, हनुमान दरवाजा कहते है। मुख्य प्रवेश द्वार को महादरवाजा कहा जाता है।