दार्जिलिंग की होली हिल (Observatory Hill) कहलाई जाने वाली पर्वत छोटी पर स्थित है "महाकाल मंदिर" (Mahakal Temple) जहाँ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव की एकसाथ पूजा होती है। यह मंदिर हिन्दू व बौद्ध, दोनों ही धर्म के अनुयायियों के लिए महत्तवपूर्ण है।
महाकाल मंदिर के रास्ते में हज़ारों बौद्ध झंडे लहरा रहे हैं जो यहां पर बौद्ध व हिन्दू धर्म की एकता को दर्शाते हैं। मौसमों के हिसाब से इन झंडों के रंग भी बदल दिए जाते हैं। महाकाल मंदिर के पास ही तिब्बती स्मारक मंदिर भी स्थित है। इसके अलावा यहां आसपास भगवान गणेश, माँ दु्र्गा-काली, राधा-कृष्णा को भी समर्पित कई छोटे मंदिर मौजूद हैं।
इस मंदिर से विश्व की तीसरी ऊंची चोटी कंचनजंघा के भी नज़ारे देखे जा सकते हैं। महाकाल मंदिर के पास ही एक छोटी सी गुफा स्थित है जिसे महाकाल गुफा कहते हैं। इस गुफा के अंदर भी भगवान शिव का एक शिवलिंग स्थित है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को लेटकर व बैठकर जाना पड़ता है।
ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर सन् 1782 में भगवान शिव के प्रतीक- शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे। यह शिवलिंग तीन थे इसलिए इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तौर पर पूजा जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि जिस जगह पर आज महाकाल मंदिर स्थित है, उसी स्थान पर डोर्जेलिंग मोनेस्ट्री हुआ करती थी जिसके नाम पर दार्जिलिंग शहर का नाम पड़ा था।
इस मंदिर की खासियत है कि पर्यटक यहां एक ही मंच पर हिन्दू धर्म व बौद्ध धर्म के पुजारियों को एकसाथ पाएंगे। हिन्दू पुजारी जहां श्लोक पड़ रहे होंगे वहीं बौद्ध भिक्षु बौद्ध पवित्र ग्रंथों का उच्चारण कर रहे होंगे। इस एकता को देख कई लोग यहां हैरान रह जाते हैं।