बतासिया लूप के बारे में जानकारी - Batasia Loop in Hindi

बतासिया लूप के बारे में जानकारी - Batasia Loop in Hindi

दार्जिलिंग शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल, घुमावदार रेलवे मार्ग है जिसकी गिनती शहर के मुख्य पर्यटक स्थलों में आती है। पहाड़ों को काटकर उनकी जमीन को समतल करके इस रेलवे ट्रैक "बतासिया लूप" का निर्माण कराया गया।

बतासिया लूप पर टॉय ट्रेन में सफर करते हुए पर्यटकों को विश्व की तीसरी ऊंची चोटी कंचनजंगा के मनोरम दृश्य और पूरे दार्जिलिंग शहर का सुंदर नज़ारा निहारने का मौका मिलता है। साथ ही यहां एक मार्केट भी मौजूद है जहां से पर्यटक स्थानीय वस्तुएं जैसे हैंडबैग्स, पर्स, सजावट का सामान आदि खरीद सकते हैं। 

बतासिया लूप के बीचोंबीच, भारत देश की स्वतंत्रता के बाद होने वाले युद्धों में शहीद हुए गोरखा सैनिकों को समर्पित, त्रिकोणीय आकार का एक "युद्ध स्मारक" (war memorial) स्थापित है। यह युद्ध स्मारक एक ग्रेनाइट पत्थर से बना स्मारक है जिसके नीचे सभी गोरखा शहीद सैनिकों के नाम लिखे हुए हैं। बतासिया लूप से गुज़रने वाली टॉय ट्रेन कुछ देर के लिए वॉर मेमोरियल के पास रूकती है, यात्री यहाँ उतरकर यहां के गार्डन और वॉर मेमोरियल को देख सकते हैं।

बतासिया लूप एंड वॉर मेमोरियल का इतिहास - History of Batasia loop and war memorial

सन् 1919 में दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन के सफर को सम्भव करने के लिए बतासिया लूप का अभियान शुरू किया गया। 
सन् 1976 में दार्जिलिंग के जिला सैनिक बोर्ड द्वारा गोरखा सैनिकों की याद में शहीद स्मारक बनाने का फैसला लिया गया। साल 1984 में दार्जिलिंग के शहीद स्मारक के लिए बतासिया लूप की जगह को चुना गया। 1990 में दार्जिलिंग जिला सैनिक बोर्ड ने रेलवे मिनिस्ट्री से बतासिया लूप के पास की जगह को महज़ 46,000 रूपये में खरीद लिया। 1994 में इस स्मारक का निर्माण कार्य शुरू किया गया और केवल एक साल में यह स्मारक बनकर तैयार हो गया। 

बतासिया लूप मे क्या देखे -

पर्यटक भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन "घूम" (दार्जिलिंग से करीब 5.5 किलोमीटर दूर) से टॉय ट्रेन द्वारा दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं। घूम से दार्जिलिंग जाने के लिए ऊंचे पहाड़ों से सीधा नीचे की ओर रास्ता है जिसपर ट्रेन को चलाना संभव नहीं था इसीलिए पहाड़ों की ढलान को पहले कम करके मार्ग बनाया गया था। ब्रिटिशर्स ने दार्जिलिंग शहर को अपने सैरगाह के स्थल के तौर पर चुना था और उन्होंने ही इस सफर को मुमकिन बनाया। घूम से दार्जिलिंग के लिए 1000 फीट ढलान में ट्रेन उतरती है लेकिन पर्यटकों को किसी खतरे का एहसास नहीं होता।

बतासिया लूप सलाह -

  • मानसून के दौरान दार्जिलिंग जा रहे हैं तो अपने साथ रेन कोट, छाता, बूट्स रखें।
  • दार्जिलिंग टूरिस्ट ब्यूरो द्वारा शहर में घूमने के लिए प्राइवेट टैक्सीज़ के रेट फिक्स किए गये हैं।
  • यहां की टॉय ट्रेन में सफर अवश्य करें।
  • वॉर मेमोरियल सुबह के पांच से शाम के आठ बजे तक खुला रहता है।
  • वॉर मेमोरियल के परिसर में प्रवेश करने का शुल्क लगता है।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in