पार्श्वनाथ जैन मंदिर के बारे जानकारी - Parshwanath Jain Mandir in Hindi

पार्श्वनाथ जैन मंदिर के बारे जानकारी - Parshwanath Jain Mandir in Hindi

पार्श्वनाथ जैन मंदिर जिसे लोग 'करेड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर' के नाम से भी जानते हैं, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से लगभग 50 किमी दूर स्टेट हाइवे नंबर नौ पर गाँव भूपालसागर में स्थित है। हर साल मंदिर में लाखों श्रद्धालु तथा पर्यटक आते हैं। इस मंदिर को खूबसूरत सफ़ेद पत्थरों से बनाकर तैयार किया गया है।

पार्श्वनाथ जैन मंदिर का इतिहास - History of Parshwanath Jain Mandir in Hindi

मंदिर के इतिहास के बारे में अनेकों बात हैं, जिसमें सुकृत सागर ग्रंथ प्रमुख है। जिसमें बताया गया है कि मंदिर का निर्माण आचार्य धर्मघोष सूरीजी के उपदेशों से प्रभावित होकर मध्य प्रदेश के तत्कालीन महामंत्री संघपति देवाशाह के पुत्र पेथड़शाह विक्रम संवत ने 1321 में करवाया था, जिसे विक्रम संवत ने 1340 में विशाल रूप दिया।

इस मंदिर में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की श्याम वर्ण पद्मासनस्थ मूर्ति विराजमान है। माना जाता है कि इस मूर्ति को विक्रमी सावंत ने 1665 में बनवाया था।

पार्श्वनाथ जैन मंदिर की मान्यता - Importance of Parshwanath Jain Mandir

इस मन्दिर के बारे में यह मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मन्दिर के पूर्ण दर्शन कर लेता है, उसे 52 तीर्थों के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है।

साथ ही कई लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को सूर्य की पहली किरण सीधी श्यामवर्ण पार्श्वनाथ प्रतिमा पर पड़ती है, जिसे देखने हज़ारों की संख्या में भक्त यहां आते हैं।

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