गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) मुंबई के सबसे मशहूर पर्यटक स्थलों (Tourist Place of Mumbai) में से एक है। 26 मीटर ऊंचा यह विशाल द्वार दूर से ही बड़ा भव्य दिखाई पड़ता है। ब्रिटिश शासन काल में निर्मित इस द्वार (गेटवे ऑफ इंडिया) को देखने से ही पता चल जाता है कि इसको बनाने में हिन्दू और मुस्लिम दोनों प्रकार की शिल्प शैली का प्रयोग किया गया होगा। इसका निर्माण किंग जॉर्ज तथा महारानी मेरी (Queen Mary) को सम्मानित करने के लिए बनाया गया था जब वह पहली बार यहां पर आए थे।
चारों तरफ से बेरिकेट से घिरे गेटवे ऑफ इंडिया में प्रवेश करना मना है, इसके बावजूद आज यह मुंबई के विभिन्न आकर्षण स्थलों में से एक है। यहां शाम के समय गुब्बारे बेचने वाले, फोटो खींचने वाले, ठेले पर भेल पूरी और पानी पूरी बेचने वाले तथा समुद्री लहरों का आनंद उठाते हुए लोगों का दृश्य बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है।
गेटवे ऑफ इंडिया की नींव ब्रिटिश शासन काल में मार्च 1911 में रखी गई थी। यह साल 1924 में बनकर तैयार हुआ था। इस गेट में चार मीनारें है जिन पर बारीक डिजाईन बनाए गए हैं। गेटवे ऑफ इंडिया के आर्किटेक्ट जॉर्ज विटेट (George Wittet) थे।
गेटवे ऑफ इंडिया से जुड़ी एक रोचक बात यह है कि जिस गेट से ब्रिटिश सरकार ने यहां अपना व्यापार जमाया था उसी गेट से ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद (1948 में) उनका आखिरी जहाज इंग्लैंड की तरफ रवाना हुआ था। इस जहाज के जाने को भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत के तौर पर देखा जाता है।