हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा धर्मशाला (Dharmshala), प्रकृति की खूबसूरती का एक अनुपम उदाहरण है। अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण यह एक अहम पर्यटन स्थल है। अपने अद्भुत सौन्दर्य और यहाँ बने क्रिकेट स्टेडियम (Dharmshala Cricket Stadium) के कारण धर्मशाला दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों की रानी, मिनी ल्हासा (Little Lhasa), वर्षा नगर आदि नामों से मशहूर धर्मशाला में प्रकृति के सभी रंग एक साथ देखने को मिलते हैं। खूबसूरत वादियों के साथ हरी-हरी घास, भाग्सु झरने का पानी आदि प्राकृतिक नजारों के साथ बड़ी संख्या में मौजूद बौद्ध मठ इस स्थान को एक शानदार पर्यटनीय स्थल बनाते हैं। धर्मशाला के दर्शनीय स्थलों (Tourist Places of Dharmshala) में ज्वालामुखी मंदिर, त्रिउंड पर्वत, दलाई लामा मंदिर आदि प्रमुख हैं।
धर्मशाला में हाथ से बने सामानों के अतिरिक्त गर्म कपड़ों आदि की खरीदारी की जा सकती है। इसके अलावा पर्यटक यहाँ से तिब्बती कालीन, गर्म शॉल, खूबसूरत पेंटिग्स, बांस से बनी सजावटी वस्तुएं भी खरीद सकते हैं।
धर्मशाला में जाते समय गर्म कपड़े साथ रखें
यहां बारिश कभी हो जाती है इसलिए हो सके तो रेनकोट और छाता अवश्य साथ रखें
सर्दियों के मौसम में जाने से बचने का प्रयास करें
कहीं भी जाते समय अपने सभी पहचान पत्र अपने साथ रखें
ब्रिटिश राज से पहले कांगड़ा घाटी में स्थित धर्मशाला पर कटोच राजवंश ( Katoch Dynasty) का राज था। 1848 में धर्मशाला पर ब्रिटिश सरकार ने कब्ज़ा कर लिया। यहां की खूबसूरत लोकेशन और खुशनुमा मौसम देखते हुए ब्रिटिश ऑफिसर्स और अन्य बड़े अधिकारियों ने यहां सेना का नया बेस बनाने का प्रस्ताव रखा। कहा जाता है कि यहां एक पुरानी हिन्दू धर्मशाला थी जिसके आधार पर इस जगह का नाम "धर्मशाला" पड़ा। ब्रिटिश सरकार धर्मशाला को गर्मियों के दिनों में भारत की राजधानी बनाना चाहते थे लेकिन 1905 में आई एक आपदा के कारण उन्होंने शिमला को चुना। धर्मशाला के इतिहास में एक अहम मोड़ 1959 में आया जब तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने चीन के आक्रमण के बाद यहां शरण ली। उनके साथ हजारों तिब्बती शरणार्थी भी यहां आ बसे। आज धर्मशाला तिब्बती शरणार्थियों की सबसे बड़ी जगह है।
राज्य - हिमाचल प्रदेश
स्थानीय भाषाएँ - हिंदी, तिब्बती, अंग्रेज़ी
स्थानीय परिवहन - बस, रिक्शा व टैक्सी
पहनावा - धर्मशाला में तिब्बती जनसंख्या अधिक है। तिब्बती महिलाएं पारंपरिक तौर पर एक लंबी बाजू की शर्ट के साथ कमर के नीचे एक एप्रेन लपेटती है। इसके अलावा यहाँ महिलाएं साड़ी और सूट-सलवार भी पहनती है। पुरुषों के पहनावे में सामान्य तौर पर पेंट-शर्ट को तरजीह दी जाती है। तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं की भी अपने एक पारंपरिक पोशाक होती है।
खान-पान - तिब्बती खाने के साथ-साथ धर्मशाला में बेहतरीन गर्मा-गर्म मोमोज का स्वाद लिया जा सकता है। यहां के मोमोज बेहद स्वादिष्ठ होते है। इसके साथ ही पर्यटक यहां स्थानीय होटलों में परोसे जाने वाले नूडल्स, पैनकेक आदि का स्वाद भी लेने भी नहीं भूलते।
कई संस्कृतियों के मेल के कारण धर्मशाला में विभिन्न प्रकार के पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। सभी भारतीय त्यौहारों के साथ यहां हल्दी, लोसर, साका दवा (Saka Dawa Festival) आदि पर्व विशेष तौर पर मनाए जाते हैं। इसके अलावा हाल के वर्षों में धर्मशाला में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल भी आयोजित किया जाता है।
लोसर महोत्सव - Losar Festival
लोसर महोत्सव या तिब्बती नया साल यहां का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। फरवरी के महीने में मनाए जाने वाले इस त्यौहार को लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
साका दवा - Saka Dawa Festival
यह त्यौहार भगवान बुद्ध से संबंधित है। इस त्यौहार के दौरान मैक्लोड गंज में मेलों का आयोजन किया जाता है।
हवाई मार्ग - By Flight
धर्मशाला पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है गागल (Gaggal Airport)। यह धर्मशाला से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहां से बस या टैक्सी की सहायता से यहां पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- By Train
धर्मशाला पहुंचने के लिए रेल मार्ग को सबसे उपयुक्त समझा जाता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जहां से बस या टैक्सी लेकर धर्मशाला पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग - By Road
भारत के सभी महानगरों से धर्मशाला सड़क परिवहन के द्वारा जुड़ा हुआ है। धर्मशाला नेशनल हाइवे संख्या 1 से बेहद करीब है।
धर्मशाला घूमने के लिए सबसे उपयुक्त समय जुलाई से सितंबर का माना जाता है। हालांकि बर्फबारी देखने का शौक हो तो दिसंबर से फरवरी के महीने भी जाया जा सकता है।