द्वारकाधीश मंदिर के बारे में जानकारी - Dwarkadhish Temple in Hindi
द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के वर्णन अनुसार श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर द्वारका आए तथा यहां द्वारकानगरी बसायी। यह हिन्दूओं के प्रसिद्ध चार धामों में से एक है।
साथ ही इसका वर्णन हिन्दूओं के प्रसिद्ध सप्तपुरियों के तौर पर भी किया गया है। इसे मोक्ष का धाम कहा जाता है क्योंकि जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग चार धाम की जो यात्रा करते हैं, उसका एक अहम पड़ाव यह मंदिर है।
द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी एक कहानी - Story of Dwarkadhish temple
एक पौराणिक कथा के अनुसार वर्षों पहले यहां रैवत नाम के एक राजा ने यज्ञ किया था। तब से इस स्थान को कुशस्थली कहा जाने लगा। कुछ समय बाद यहां कुश नामक राक्षसों का आगमन हुआ, जिन्होंने यहां के निवासियों को परेशान करना शुरू कर दिया।
राक्षसों से परेशान होकर सभी लोगों ने भगवान ब्रह्मा की आराधना की। इसके पश्चात भक्तों की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी ने त्रिविक्रम भगवान को प्रकट किया। त्रिविक्रम भगवान ने राक्षसों का वध कर उनको धरती में गाड़ दिया। इसके बाद माना जाता है कि द्वारकाधीश के दर्शन के बाद कुशेश्वर पर जाना आवश्यक है।
द्वारकाधीश मंदिर की मान्यता
मान्यता है कि द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण स्वयं श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था। समय-समय पर मंदिर की स्थिति में बदलाव होता रहा है परंतु इसमें स्थापित मूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान कृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुजी मूर्ति है।
द्वारकाधीश मंदिर की विशेषता
माना जाता है कि द्वारकाधीश के दर्शन के व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है। मंदिर में जाने से भक्तों को मान की शांति प्राप्त होती है, एक पवित्रता का अनुभव होता है। द्वारिकापुरी मोक्ष तीर्थ माना जाता है। द्वारिकापुरी से पूर्ण पुण्य पाने के लिए द्वारकाधीश के दर्शन के बाद कुशेश्वर भगवान के दर्शन आवश्यक है।