श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के बारे में जानकारी - Shri Banke Bihari Temple in Hindi

श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के बारे में जानकारी - Shri Banke Bihari Temple in Hindi

वृन्दावन का मुख्य और सबसे प्रसिद्ध स्थल है बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple)। माखन चोर कान्हा को समर्पित यह मंदिर वृन्दावन शहर का सबसे बड़ा आकर्षण है। बाँके का अर्थ होता है- तीन जगहों से झुकना या मुड़ना और बिहारी का अर्थ है- परम आनंद लेने वाले। यहाँ स्थापित भगवान कृष्ण की मनमोहक मूर्ति तीन जगहों से झुकी हुई है, दाहिना घुटना बाएं घुटने की ओर, दाहिना हाथ जिसमें उन्होंने बांसुरी पकड़ी है और सिर हल्का बाईं ओर झुका है।

मंदिर में बिहारी जी की श्याम वर्ण की सुंदर मूर्ति स्थापित है और साथ में हैं उनकी प्रिय राधा रानी। दोनों ही मूर्तियाँ इतनी सुंदर और आकर्षक हैं कि वास्तविक प्रतीत होती हैं।

इस मंदिर में कोई घंटी या शंख नहीं है, कहा जाता है कि बिहारी जी को इनकी आवाजें पसंद नहीं हैं। एक मान्यता यह भी प्रचलित है कि ठाकुर जी की आँखों में लगातार देखने से, भक्त संसार को भूलकर उनकी लीलाओं में खो जाता है इसलिए श्रद्धालुओं को प्रतिमा की आँखों में एकटक न देखने का सुझाव दिया जाता है और इसी वजह से मूर्ति के आगे थोड़ी-थोड़ी देर पर पर्दा गिराया जाता है।

मंदिर का निर्माण राजस्थानी शैली में हुआ है। मेहराब और स्तम्भ इस तीन मंजिला इमारत को विशिष्ट और आकर्षक रूप प्रदान करते हैं। बिहारी जी और ठाकुर जी के नाम से भक्तों के हृदय में निवास करने वाले नटखट कृष्ण यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु की सभी कामनाएं पूरी करते हैं।

बांकेबिहारी मंदिर का इतिहास - History of Banke Bihari Temple in Hindi

बाँके बिहारी मंदिर का निर्माण सन् 1860 में हुआ था। मंदिर में स्थापित प्रतिमा भगवान कृष्ण के परम भक्त स्वामी हरिदास को निधिवन में स्वयं कान्हा ने दी थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने राधा जी के साथ उन्हें साक्षात् दर्शन दिये और अदृश्य होने से पहले एक काले रंग की मूर्ति में परिवर्तित हो गए, यही प्रतिमा आज मंदिर में विराजमान है।

बांके बिहारी मंदिर मे क्या देखे -

कहा जाता है कि हर रात कान्हा, राधा जी के साथ निधिवन में रासलीला रचाते हैं इसलिए सुबह की आरती का समय बदला गया जिससे राधा-कृष्ण जी को आराम करने का पूरा समय मिल सके।

बांके बिहारी मंदिर सलाह -

  • मंदिर सुबह 9:30 बजे से दोपहर12:30 तक खुलता है और फिर शाम को 7 बजे से रात 10 बजे तक

  • कान्हा की आरती दो बार होती है- एक दोपहर 12 बजे और दूसरी रात को 9:30 बजे

  • दान करने की इच्छा हो तो केवल दानपेटी में ही दान दें

  • होली व जन्माष्टमी के दौरान मंदिर की रौनक देखने लायक होती है

  • यमुना नदी में बोटिंग का आनन्द ले सकते हैं

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