पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में जानकारी - Padmanabhaswamy Temple Thiruvananthapuram in Hindi

पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में जानकारी - Padmanabhaswamy Temple Thiruvananthapuram in Hindi

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple), केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित है। वैष्णव संप्रदाय का यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान पद्मनाभ स्वामी यानि विष्णुजी की प्रतिमा मंदिर का मुख्य आकर्षण है, जो मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु, शेषनाग पर शयन मुद्रा (विश्राम अवस्था) में विराजमान हैं, जिसे 'पद्मनाभ' कहा जाता है। मंदिर में भगवान विष्णु की पत्नियां श्रीदेवी (लक्ष्मीजी) और भूदेवी की प्रतिमा भी उनके साथ स्थित हैं।

लोक मान्यताओं के अनुसार, तिरुवनंतपुरम नाम भगवान विष्णु के 'अनंत' नामक नाग से लिया गया है। यह एक विशाल मंदिर है, जो सात मंजिला ऊंचा है। मंदिर के पास एक पवित्र सरोवर भी स्थित है, जिसे 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बने इस मंदिर की देख-रेख, त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है।

मंदिर में स्थित मूर्ति 12 हजार शालिग्रामों (saligramams) से बनी हुई है जिसे नेपाल में स्थित गंडकी नदी (Gandaki River) के तट से लाया गया था। मंदिर में बलि पीड़ा मंडपम (Bali Peeda Mandapam) और मुख मंडपम (Mukha Mandapam) में देवी देवताओ की मूर्तियां दर्शनीय हैं। मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव लाक्षा दीपम (laksha deepam) है जो 6 वर्षों में एक बार मनाया जाता है। यह उत्सव 56 दिनों तक चलता है जिसमें तीन वेदों को पढ़ा जाता है। 

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का इतिहास - History of Sree Padmanabhaswamy Temple

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर की स्थापना या इसके मूल इतिहास के बारे कोई ठोस तथ्य अभी तक सामने नहीं आया, लेकिन लोक मान्यताओं और हिन्दू धर्म ग्रन्थ जैसे पुराणों और भगवद्गीता में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिनके अनुसार, बलराम जी ने इस मंदिर का दौरा किया और 'पद्मतीर्थम' कुंड में स्नान किया था। 

स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति मिली थी, जिसके बाद उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया था। मार्तंड वर्मा (Marthanda Varma), "जो त्रावणकोर (Travancore) राजाओं में प्रमुख हैं" ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। 1750 में मार्तंड वर्मा ने त्रावणकोर राज्य भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया। इसके बाद राजा ने कसम खाई कि वो और उनके वंशज इस स्थान पर पद्मनाभ भगवान के दास बनकर राज्य करेंगे। तब से अब तक सभी त्रावणकोर राजाओं को पद्मनाभ दास के नाम से जाना जाता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर मे क्या देखे -

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर देश भर में अपने खजाने के लिए प्रसिद्ध हुआ है और इस मंदिर की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है। वर्ष 2011 में मंदिर के तहखाने को कोर्ट के आदेश पर ही खोला गया था, जिसमें से एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का खजाना निकला था। उसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने अपने नए आदेश में तहखानों को खोलने पर रोक लगा दी है।

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