निशात बाग़ यानि "खुशियों का बाग़" (Garden of Joy)। नाम के अनुसार ही, यहाँ की हरियाली और मनोरम दृश्य देख पर्यटक यक़ीनन खुश होंगे। इस बाग़ को श्रीनगर के सभी मुग़ल बाग़ों में सबसे ज्यादा सुन्दर और आकर्षित माना जाता है। सीढ़ीदार यह बाग़ श्रीनगर का दूसरा सबसे बड़ा बाग़ है। ज़बरवन पर्वत श्रृंखलाओं (Zabarwan Range) के बीच और डल झील के आगे स्थित यह उद्यान असंख्य फूलों, फव्वारों, हरी-भरी घास और पेड़ों से सजा है।
इस बाग़ में बारह लॉन हैं जिनके लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं और हर अलग लॉन पर अलग प्रकार की रचना है व इनपर सरू और चिनार के पेड़ों के बाड़े लगे हुए हैं। निशात बाग़ के सबसे ऊपरी भाग पर ज़नाना बाग़ बना हुआ है। ग्लेडूला की क्यारियां, झरनें, गुलाब की कई नस्लें इस बाग़ की सुंदरता में चार चाँद लगा देती हैं।
सम्राट जहांगीर की पत्नी महारानी नूरजहां के बड़े भाई असफ खान द्वारा निशात बाग़ का निर्माण 1633 ईस्वी में करवाया गया था। असफ खान ने इस बाग़ को बनवाने के लिए डल झील के पास की ज़मीन का चुनाव किया। कहा जाता है कि इस बाग़ की रूपरेखा असफ खान ने स्वयं रची थी। इतने सालों बाद भी आज तक निशात बाग़ की खूबसूरती और भव्यता वैसी ही बरकरार है जैसी मुगल ज़माने में हुआ करती थी।
निशात बाग़ से जुड़ी एक बड़ी ही रोचक कहानी मशहूर है। बाग़ के निर्माण कार्य पूरे होने पर असफ खान ने अपने दामाद और मुगल शासक शाहजहां को श्रीनगर अपनी कला दिखाने के लिए बुलाया। इस उद्यान की रूप रेखा शाहजहां को इतनी पसंद आई कि वह इसे असफ खान से तोहफे के तौर पर लेने की ख्वाहिश रख बैठे और ऐसा ना होने पर गुस्से में आकर शाहजहां ने निशात बाग़ के फव्वारों की जल आपूर्ति रूकवा दी जो कि शालीमार बाग़ से होकर यहां आती थी।