आगा खान महल, पुणे शहर के येरावाड़ा में स्थित एक ऐतिहासिक भवन है। भारत छोड़ो आंदोलन की घटना से जुड़े इस स्मारक को आज संग्रहालय के रूप में संजो कर रखा गया है। आगा खान महल, सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान तृतीय ने सूखा पीड़ित लोगों को रोजगार देने के लिए बनवाया था। 19 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले इस स्मारक को बनाने में इटैलियन वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है। इस महल ने महात्मा गांधी के जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है क्योंकि उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और सचिव महादेवभाई देसाई 35 वर्ष तक इसी महल में रहे थे और यहीं उनकी मृत्यु हुई। इनकी अस्थियां आज भी महल परिसर के बगीचे में रखी गई हैं। आगा खान महल में ही सन् 1940 में गांधी जी और उनके अन्य साथियों को बंदी बनाकर रखा गया था। इस महल रूपी संग्रहालय में गांधी जी की फोटो- प्रदर्शनी और उनकी व्यक्तिगत वस्तुएं रखी गई हैं।
आगा खान महल, मुहम्मद शाह आगा खान तृतीय द्वारा 1892 में बनवाया गया था। उस समय इसके निर्माण पर करीब 12 लाख रुपए का खर्चा हुआ था। 1956 तक यह महल आगा खान के वंशजों के अधीन रहा लेकिन इसकी महत्ता को ध्यान में रख कर 1969 में आगा खान चतुर्थ ने यह महल सरकार को दान कर दिया था।
आगा खान महल का इतिहास भारत के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि इसी महल में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने के जुर्म में अंग्रेज सरकार ने सन् 1942 गांधीजी, महादेव देसाई, सरोजनी नायडू, प्यारे लाल नय्यर सुशीला नय्यर को तथा 1944 में कस्तूरबा गांधी को बंदी बनाकर रखा गया था। सन 1942 में 14 और 15 अगस्त की आधी रात को महादेव देसाई का निधन हुआ, और गांधी के निर्देश पर इसी महल में उनकी समाधि बनाई गई। सन 1944 में कस्तूरबा गांधी की मृत्यु के बाद उनकी समाधि भी इसी स्थान पर बनाई गई थी।