पालमपुर (Palampur), कांगड़ा घाटी में स्थित हरी- भरी वादियों से परिपूर्ण एक खूबसूरत हिल स्टेशन (Palampur Hill Station) है। अपने मनमोहक दृश्यों और शुद्ध- शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध यह शहर चाय के बागानों और चीड़ के जंगलों से घिरा हुआ है। पालमपुर का नाम "पुलुम" (Palum) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है ”पर्याप्त जल”। पालमपुर की चाय बहुत प्रसिद्ध है इसलिए इस शहर को "चाय काउंटी" या उत्तर भारत की चाय की राजधानी (Tea Capital of North India) भी कहा जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे पालमपुर में कई पर्यटक स्थल (Tourist Places of Palampur) हैं जैसे तशी जोंग बौद्ध मठ, चाय के सुंदर बागान, औपनिवेशिक काल में बने बंगले आदि। इस शहर में प्राकृतिक दृश्यों के अलावा पर्यटक यहाँ मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। तिब्बती और पंजाबी व्यंजन यहाँ काफी लोकप्रिय है इसके अलावा पर्यटक नूडलस, सेपु वड़ी (Sepu Vadi), गुच्छी मटर (Guchhi Mattar), भटूरा और चना मादरा आदि का स्वाद भी ले सकते हैं।
राम मार्केट (Ram Market), लामा मार्केट (Lama Market) और गोपालपुर बाजार (Gopalpur Village Market) पालमपुर के कुछ मुख्य बाजार हैं। जहां से पर्यटक स्थानीय एवं पश्चिमी कपड़े, खाद्य पदार्थ, शॉल, तांबे में डिजाईन वाले बर्तन, हस्तशिल्प, ज्वैलरी, पर्स, चाय पत्ती आदि वस्तुएं उत्तम कीमत पर खरीद सकते हैं।
सर्दियों के मौसम में यदि आप यहां घूमने का मन बना रहे हैं तो गर्म कपड़ा ले जाना न भूलें
यात्रा के दौरान अपनी निजी वस्तुओं का ध्यान रखें
चाय का शहर कहे जाने वाले पालमपुर से याद के लिए यहां की प्रसिद्ध चाय अपने साथ खरीद कर जरुर लाएं
प्रकृति प्रेमी यहां कैमरा अवश्य लेकर जाएं
पालमपुर कभी जालंधर साम्राज्य (Jalandhar kingdom) का हिस्सा हुआ करता था। यहाँ की जलवायु को चाय की खेती के लिए अनुकूल मानते हुए डा. जमसन (Dr. Jameson), "जो बॉटनिकल गार्डन के अधीक्षक थे" ने 1849 में पहली बार चाय की खेती की थी। इसके बाद से ही यह स्थान चाय के लिए प्रसिद्ध हो गया।
स्थानीय भाषाएँ- हिमाचली, हिन्दी और अंग्रेजी
स्थानीय परिवहन– बस और टैक्सी
पहनावा- यहाँ के पुरुष और महिलायें घुटने तक का लम्बा कुर्ता और पजामा पहनते हैं, पुरुष सिर पर हिमाचली टोपी और महिलाएं दुपट्टे को अपने सिर पर बांधती हैं। ठंडा इलाका होने के कारण यहाँ ऊनी कपड़ों का प्रयोग अधिक किया जाता है। इसके अलावा यहाँ की महिलाएं विशेष अवसरों जैसे विवाह या सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि पर घाघरा चोली भी पहनती हैं।
खान-पान – पालमपुर में स्थानीय लोगों के बीच तिब्बती और पंजाबी व्यंजन काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा पर्यटक नूडलस, ममोज, सेपु वड़ी (sepu vadi), गुच्छी मटर (Guchhi Mattar), भटूरा और चना मादरा, चिकन, मटन आदि का स्वाद चख सकते हैं।
शिवरात्रि - Shivratri
शिवरात्रि यहां के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस मौके पर बैजनाथ मंदिर तथा शहर के अन्य शिव मंदिर पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोग इस दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।
लोहड़ी - Lohri
मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्यौहार पालमपुर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान लोग रंग बिरंगे नए कपड़े पहनते है तथा नाचते गाते हुए त्यौहार मनाते हैं।
हवाई मार्ग - By Flight
गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला (Gaggal Airport Dharamshala) पालमपुर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से ऑटो, टैक्सी और बस लेकर पालमपुर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग - By Train
पालमपुर देश के विभिन्न शहरों द्वारा रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। पालमपुर रेलवे स्टेशन बेहद छोटा है इसलिए मुख्य शहरों से यहाँ सीधी ट्रेनें नहीं है लेकिन जालंधर, पठानकोठ या नजदीकी स्टेशनों से यहाँ सीधी ट्रेने आती हैं। इसके अतिरिक्त पठानकोठ रेलवे जंक्शन (Pathankot Railway Junction) से भी पालमपुर पहुंचा जा सकता है। पठानकोठ से पालमपुर करीब 120 किमी. की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग - By Road
पालमपुर, हिमाचल प्रदेश व देश के कई बड़े शहरों से सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। यह नेशनल हाइवे संख्या 20 से बेहद करीब है। सड़क द्वारा यहाँ पहुंच कर पर्यटक रास्ते में आने वाले दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं।
पालमपुर घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून है जब यहाँ का मौसम अत्यंत सुहावना और खुशनुमा होता है।