विश्व धरोहर स्मारक (World heritage monuments) की सूची में शामिल क़ुतुब मीनार (Qutab Minar), इंडो-इस्लामिक अफगान वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। पांच मंजिला इस मीनार की ऊंचाई करीब73 मीटर है। कुतुब मीनार की पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं और ऊपर की दो मंजिलें संगमरमर और बलुआ पत्थर से।
क़ुतुब मीनार भूकंप और बिजली गिरने की वजह से कई बार ध्वस्त हुआ और कई बार इसे पुनः बनवाया गया, फ़िरोज़ शाह, सिकंदर लोधी और ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा इसकी समय-समय पर मरम्मत होती रही है।
हरे-भरे उद्यान से घिरी इस मीनार के निकट क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद है और कुतुब मीनार के सामने सात मीटर ऊंचा एक लौह स्तंभ है जिसमें आज तक जंग नहीं लगी है।
1193 ई में मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा इस इमारत का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था लेकिन वे केवल एक ही मंजिल बनवा पाए थे। उनके बाद इस मीनार को उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया था।
क़ुतुब मीनार (Qutab Minar) के अंदर करीब 379 सीढ़ियाँ है लेकिन अब पर्यटकों का मीनार के अंदर जाना वर्जित है। लोह स्तंभ के बारे में कहा जाता है कि इसे पीठ की ओर से दोनों बाजुओं में जकड लेने से इच्छा पूरी हो जाती है, जोकि आज तक कोई नहीं कर पाया है।
विदेशी यात्रियों के लिए प्रवेश शुल्क 250 रूपए है और भारतीयों के लिए 10 रूपए है।
कुतुब मीनार सोमवार से शनिवार तक सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक खुला रहता है।
बैग या सामान को मीनार परिसर में ले जाना वर्जित है।