भाजा गुफाएं (Bhaja Caves) दूसरी शताब्दी ई.पू. में बनी बौद्ध गुफाएं हैं जो खंडाला में स्थित हैं। सीधी खड़ी चट्टानों को काटकर बनाया गया यह 22 गुफाओं का समूह प्राचीन स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। गुफाओं की प्राचीनता का प्रमाण हैं यहाँ पर खुदे हुए अभिलेख। इन गुफाओं को राष्ट्रीय स्मारक के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) द्वारा संरक्षित रखा जाता है।
गुफाओं में बने विभिन्न स्तूप इनकी महत्त्वपूर्ण विशेषताओं में से एक हैं। इसमें से 12वी गुफा "चैत्यगृह" (Chaityagrah) का द्वार काफी अलंकृत है जो प्राचीन काल की काष्ठ-वास्तुकला का उदहारण है। अंतिम गुफा के पास एक जलप्रपात (Waterfall) है जिसकी ध्वनि गुफाओं के शांत वातावरण में संगीत उत्पन्न करती प्रतीत होती है। इतिहास और रोमांच पसंद करने वालों के लिए यह जगह सर्वोत्तम है।
गुफाओं की वास्तुकला, ऐतिहासिक मूर्तियाँ और शिल्पकला से ज्ञात होता है कि ये गुफाएं हीनयान काल से संबंधित हैं। इनका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा-पूर्व से लेकर दूसरी शताब्दी ईस्वी तक का है। पांचवी और छठी शताब्दी ईस्वी तक ये गुफाएं प्रयोग में थी जिसका प्रमाण चैत्यगृह में खुदी हुई बुद्ध प्रतिमाएं हैं।
मुगलों और मराठों के काल में इन गुफाओं का प्रयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा प्रार्थना के लिए किया जाता था।