केदारनाथ मंदिर के बारे में जानकारी- Kedarnath Temple in Hindi

केदारनाथ मंदिर के बारे में जानकारी- Kedarnath Temple in Hindi

उत्‍तराखण्‍ड के चार धामों में से एक, मंदाकिनी नदी के तट पर बसा केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple), रूद्रप्रयाग जिले में स्‍थित है। पंच केदारों में से एक, केदारनाथ मंदिर में शिव के "पृष्‍ठ भाग" (Back Portion) की पूजा की जाती है। बद्रीनाथ की यात्रा करने से पूर्व केदारनाथ की यात्रा करना अनिवार्य समझा जाता है। केदारनाथ सहित नर-नारायण मूर्ति के दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है।

केदारनाथ मंदिर के अन्‍दर स्थित ज्‍योर्तिलिंग, जो भगवान शिव के बारह ज्‍यार्तिलिंगों में से एक है, यहां का मुख्‍य आकर्षण है। केदारनाथ के निकट दर्शनीय स्‍थल वासुकी ताल, पंच केदार, सोन प्रयाग, गौरी कुण्ड, त्रियुगी नारायण, गुप्तकाशी, ऊखीमठ और अगस्तयमुनि हैं।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास - History of Kedarnath Temple in Hindi

पांडव जब भगवान शिव के दर्शन करने के लिए काशी पहुंचे तो भगवान शिव वहां से छिपकर केदारनाथ में आ बसे। पांडवों द्वारा केदारनाथ में भी भगवान शिव को ढूंढ लिए जाने पर शिव ने एक बैल का रूप ले लिया लेकिन पांडवों ने भोले शंकर को फिर ढूंढ निकाला।

पांडवों से बचने के लिए शिव पृथ्वी में समा गए लेकिन उनका पृष्‍ठ भाग धरती पर रह गया। पांडवों के दृढ़ संकल्प से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें उनके पाप के भार से मुक्त कर दिया और पांडवों से उनके पृष्ठ भाग की पूजा करने का आदेश दिया।

कहते हैं केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव वंशी जनमेजय ने कराया था, जबकि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था।

केदारनाथ मंदिर मे क्या देखे -

यमुनोत्री के पवित्र जल से केदारनाथ के ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करना शुभ माना जाता है। वायुपुराण के अनुसार, मानव जाति के कल्याण के लिए भगवान नारायण (विष्णु) बद्रीनाथ में अवतरित हुए। बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव का वास था, किन्तु जगतपालक नारायण के लिए शिव बद्रीनाथ छोड़ कर केदारनाथ चले गए। भगवान शिव द्वारा किए त्याग के कारण केदारनाथ को अहम प्राथमिकता दी जाती है।

केदारनाथ मंदिर सलाह -

  • प्रतिकूल जलवायु के कारण केदारनाथ मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।

  • अपने साथ जरूरी दवाईयां रखें।

  • तीर्थयात्रियों के लिए यहां पोनी घोड़े की भी सुविधा उपलब्ध है।

  • अपने साथ गर्म कपड़े अवश्य रखें।

  • मांस-मच्छी व शराब का सेवन न करें।

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