गिर नेशनल पार्क भारत के सबसे प्रसिद्ध चिड़ियाघरों में से एक है। इसे सासन गिर या गिर वन के नाम से भी जाना जाता है। गिरनार वन के करीब एशियाई शेरों के लिए मशहूर गिर नेशनल पार्क गुजरात राज्य में लगभग 1412 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्व में यही एकमात्र ऐसी जगह है जहां जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। 350 से अधिक शेरों और 300 से अधिक बाघों के इस इलाके में घूमना बेहद रोमांचक अनुभव होता है। गिर नेशनल पार्क केवल शेरों के लिए नहीं बल्कि हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, बारहसिंगा, भालू और लंगूर जैसे कई जानवरों का घर भी है। दर्शकों के लिए गिर वन्य अभयारण्य मध्य अक्टूबर महीने से लेकर मध्य जून तक खोला जाता है।
कहा जाता है कि जूनागढ़ के नवाब शेरों के आखेट के लिए यहां आया करते थे। शेरों की घटती संख्या देखकर उन्होंने अपना मन बदल दिया और नवाबों से इनका शिकार रोकने का आग्रह किया तभी से यहां शेरों का संरक्षण शुरू हो गया। कहा जाता है कि उस समय गिर में केवल 15-20 शेर ही बचे रह गए थे। ‘गिर’ को सन् 1969 में वन्य जीव अभयारण्य बनाया गया था। कुछ ही वर्षों के बाद इसका विस्तार कर इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया। यह अभयारण्य अब लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर तक फैल चुका है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि गिर में केवल शेर ही नहीं बल्कि कई प्रकार के पक्षी भी देखे जा सकते हैं। यहां फलगी वाला बाज, कठफोड़वा, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर आदि के साथ कई पक्षियों को भी देखा जा सकता है।
नेशनल पार्क में घूमते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है जैसे पेड़-पौधों को ना तोड़ना, पैदल यात्रा ना करना, चाकू या बंदूक साथ ना ले जाना आदि।
जानवरों को खाना-खिलाना या छेड़ना वर्जित है
नेशनल पार्क के अंदर स्मोकिंग करने की मनाही है
फोटो खींचते समय फ्लैश या साउंड वाले कैमरे नहीं इस्तेमाल करने चाहिए
पार्क में अंदर जाने का परमिट सिंह सदन ऑरिऐंटेशन सेंटर ((Sadan Orientation Centre) से पाया जा सकता है जो सुबह 07 बजे से लेकर 11 बजे तक और दोपहर 03 बजे से लेकर 05:30 तक खुला रहता है