जैसलमेर किला, राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित है, जो अपनी मजबूत किलेबंदी के लिए जाना जाता है। तिकोनी पहाड़ी पर स्थित इस किले को "स्वर्ण किला" भी कहा जाता है। इस किले में कई द्वार हैं जिन्हें अखाई पोल, सूरज पोल, हवा पोल एवं गणेश पोल आदि नामों से जाना जाता है। इस दुर्ग में मंदिर, महल, प्रशासकों एवं जन- साधारण के निवास हेतु सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकने वाला यह किला जैसलमेर के कई स्थानीय लोगों के लिए आवासीय स्थान है। किले में स्थित कुएं यहां के लोगों के लिए पानी का नियमित स्रोत है। अखाई पोल, जो इस किले का प्रथम प्रवेश द्वार है, अपने अद्भुत स्थापत्य शैली से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
जैसलमेर किले का निर्माण 1156 ई. में राजपूत शासक रावल जैसवाल ने करवाया था। इस किले में 99 गढ़ है जिसमें से 92 गढ़ों का निर्माण 1633- 1647 ई॰ के बीच किया गया था। इस दुर्ग पर 1541 से 1762 तक मुगल शासकों के ने राज किया था।
इस दुर्ग में सबसे रोचक और चौंकाने वाली बात यह है, कि इसके निर्माण में कही भी चूने या गारे का प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि पत्थरों और चट्टानों को फंसा कर महल का ढांचा तैयार किया गया है।
जैसलमेर किला पर्यटकों के लिए सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है
जैसलमेर किले का भ्रमण करने के लिए प्रवेश शुल्क लगता है
यह पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक खुला रहता है