शिवालिक पहाड़ियों में बिलवा पर्वत पर स्थित मनसा देवी (Mansa Devi) का मंदिर बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है। बिलवा तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर हरिद्वार शहर के पांच तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर में माँ मनसा देवी का वास है जो कश्यप ऋषि के मस्तिष्क से पैदा हुई थीं और साथ ही देवी को नाग राजा वासुकी की बहन भी माना जाता है।
मनसा देवी मंदिर में देवी की दो मूर्तियां स्थापित हैं, एक मूर्ति के पांच मुख और दस भुजायें हैं और दूसरी मूर्ति के एक मुख व अठ्ठारह भुजायें हैं। मनसा का अर्थ होता है "इच्छा" अर्थात देवी मनसा अपने सच्चे भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी करती हैं।
मनसा देवी का उल्लेख पुराणों में किया गया है। यह मंदिर हरिद्वार के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि कठोर तपस्या से मनसा देवी ने वेदों की जानकारी हासिल की और कृष्ण मंत्र प्राप्त किया जिसे "कल्पतरु मंत्र" कहते हैं। मनसा देवी के तप से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें दर्शन देकर वरदान दिया की मनसा देवी को तीनों लोकों में पूजनीय माना जाएगा।
मनसा देवी को मनोकामना पूरी करने वाली माँ कहा जाता है। मंदिर की मान्यता के अनुसार भक्त मंदिर में स्थित एक पेड़ पर धागा बाँधकर माँ से मुराद माँगते हैं और इच्छापूर्ति के बाद वे धागा खोलने पुनः माँ के दर्शन करने आते हैं।
धोखेबाज़ गाइड्स और ढोंगी बाबा से बचें।
हरिद्वार बारिशों में ना जाएं।
यह मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह के आठ बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक खुला रहता है।