चंडी देवी मंदिर के बारे में जानकारी - Chandi Devi Temple in Hindi

चंडी देवी मंदिर के बारे में जानकारी - Chandi Devi Temple in Hindi

चंडी देवी मंदिर (Chandi Devi Temple), उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। हरिद्वार में तीन सिद्धपीठ हैं- माया देवी, मनसा देवी और चंडी देवी। पौराणिक कथा के अनुसार चंड-मुंड राक्षसों से युद्ध करने के बाद माँ चंडी देवी ने इसी स्थान पर आराम किया था। चंडी देवी मंदिर से हरिद्वार और गंगा नदी का अत्यन्त मनोहरी दृश्य दिखाई देता है।

चंडी देवी मंदिर का इतिहास - History of Chandi devi temple in Hindi

सन् 1929 में कश्मीर के राजा, सुचत सिंह द्वारा गंगा नदी के दूसरे तट की ओर नील पर्वत पर चंडी देवी मंदिर का निर्माण कराया गया।

पुराणों के अनुसार, शुम्भ एवं निशुम्भ नामक दानवों ने इन्द्र देव से उनका राज्य छीन उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया था। देवताओं की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ पार्वती ने उनकी रक्षा हेतु अपने शरीर से चंडी देवी को उत्पन्न किया। माँ चंडी की सुंदरता से प्रभावित हो, शुम्भ द्वारा भेजे गए विवाह के प्रस्ताव को देवी ने ठुकरा दिया। विवाह का आग्रह ठुकराए जाने पर शुम्भ ने अपने प्रमुख दैत्यों चंड और मुंड को चंडी देवी से युद्ध करने के लिए भेजा। देवी के क्रोध से उत्पन्न हुई कालिका देवी ने चंड-मुंड का वध किया और फिर चंडी देवी स्वयं शुम्भ एवं निशुम्भ का अन्त कर इसी स्थान पर अन्तर्ध्यान हो गईं।

चंडी देवी मंदिर मे क्या देखे -

माना जाता है कि चंडी देवी की मूर्ती को 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था और इसका पुनर्निर्माण कश्मीर के राजा सुचात सिंह द्वारा किया गया था।

चंडी देवी मंदिर सलाह -

  • ऊंची पहाड़ियों पर फोटोग्राफी करा सकते हैं

  • ढोंगी बाबाओं के बहकावे में न आयें

  • त्योहारों जैसे नवरात्री, दिवाली में अन्य दिनों की तुलना अधिक भीड़ होती है

  • यह मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह के छह बजे से लेकर शाम के आठ बजे तक खुला रहता है

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