नई दिल्ली के बीचों बीच राजपथ पर ऐतिहासिक युद्ध स्मारक "ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल" (All India War Memorial) यानि इंडिया गेट (India Gate) गौरव से सीना ताने खड़ा हुआ है। आसमान की तरह बुलंद यह स्मारक भारत का सबसे बड़ा युद्ध स्मारक है जिसे इंडिया गेट के नाम से जाना जाता है।
42 मीटर ऊंचे इस इंडिया गेट को भारत देश का सबसे बड़ा गौरव कहा जाता है इसीलिए यह भारत का राष्ट्रीय स्मारक भी है। यहाँ स्मारक के नीचे काले संगमरमर पत्थर से एक समाधि बनी हुई है जिसके ऊपर एक राइफल रखी है और इस राइफल के शिखर पर सैनिक का हेलमेट मौजूद है।
इंडिया गेट के चारों तरफ हरियाली, हरे-भरे बाग और एक झील है। रात के समय इंडिया गेट पर लाइटिंग का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है, यहाँ हर रोज़ हजारों देशी-विदेशी पर्यटक घूमने आते हैं।
इंडिया गेट (India Gate) की रूप रेखा एडविन लुटियन द्वारा तैयार की गई थी जो कि नई दिल्ली शहर के मुख्य वास्तुकार थे। कई लोगों को यह तथ्य शायद ही पता होगा कि इंडिया गेट का निर्माण फ्रांस में बने आर्क-डी-ट्रायम्फ की ही तर्ज पर करवाया गया था। इस युद्ध स्मारक की नींव का पत्थर कनॉट के ड्यूक द्वारा 10 फरवरी 1921 को रखा गया था और इस स्मारक के निर्माण कार्य में तकरीबन दस साल लग गए थे।
इंडिया गेट के शीर्ष पर दोनों ओर बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में इंडिया (INDIA) और साथ ही यह संदेश लिखा हुआ है- "फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया और फारस पूर्वी अफ्रीका गैलिपोली और इन जगहों के आस-पास और दूर दराज़ की जगहों पर मारे गए उन शहीद भारतीय सैनिकों की याद में और जो उत्तर पश्चिम सीमांत में और तीसरे अफगान युद्ध के दौरान शहीद हुए, उनकी पवित्र स्मृति में यह स्मारक समर्पित है”।
इंडिया गेट पर करीब 13,516 भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं जो प्रथम विश्व युद्ध और अफगान के युद्धों के दौरान मारे गए थे। 1971 के भारत पाकिस्तान यु्द्ध में शहीद हुए जवानों की याद में यहाँ अमर जवान ज्योति जल रही है जो तब से लेकर आज तक निरंतर जलती आ रही है और हर समय 4 जवान इसकी रक्षा हेतु रहते हैं।
प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
इंडिया गेट हफ्ते के सातों दिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
यहाँ आप झील में बोटिंग का आनंद ले सकते हैं।
फोटोग्राफी और परिवार के साथ समय गुज़ारने के लिए अच्छी जगह है।
खुलने या बंद होने का कोई समय नहीं है, यहाँ किसी भी वक्त आया जा सकता है।