भगवान बद्री नारायण की माँ को समर्पित है “माता मूर्ति मंदिर”(Mata Murti Temple)। माता मूर्ति मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी तट के दाहिनी ओर स्थित है। हर साल अगस्त महीने में माता मूर्ति मंदिर में एक मेले का आयोजन किया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, माता मूर्ति ने भगवान विष्णु की तपस्या कर उनसे वरदान मांगा था कि वह अपने अगले अवतार में उन्हीं की कोख से जन्म लें। भगवान विष्णु ने माता मूर्ति की आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें यह वरदान दिया और एक दानव का नाश करने के लिए श्री हरि ने नर-नारायण रूप में माता मूर्ति की संतान के रूप में जन्म लिया था।
माना जाता है कि माँ सच्चे मन से तप और भक्ति करने वालों को वैराग्य का वरदान देती हैं।
अपने साथ जरूरी दवाईयां ले जाना ना भूलें
ट्रैकिंग सूट व गर्म कपड़े जरूर ले जाएं
इस मंदिर के कपाट सुबह छह बजे से लेकर रात के आठ बजे तक खुले रहते हैं